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भगत सिंह को पत्र

  भगतसिंह   के नाम पत्र                    - अशवनी शर्मा (प्रदेश संगठन मंत्री अभाविप )     सच्चा युवक तो बिना झिझक के मृत्यु का आलिगन करता है ,  चोखी संगीनों के सामने छाती खोलकर डट जाता है ,  तोप के मुँह पर बैठकर भी मुस्कुराता ही रहता है ,  बेड़ियों की झनकार पर राष्ट्रीय गान गाता है और फाँसी के तख़्ते पर अट्टहासपूर्वक आरूढ़ हो जाता है। फाँसी के दिन युवक का ही वज़न बढ़ता है ,  जेल की चक्की पर युवक ही उद्बोधन-मन्त्र गाता है ,  कालकोठरी के अन्धकार में धँसकर ही वह स्वदेश को अन्धकार के बीच से उबारता है – भगत सिंह प्रिय भगत   आज ही के दिन तुमने सुखदेव और राजगुरु के साथ हसकर फांसी के फंदे को चूम लिया था . तुम्हारी जलाई लौ आज इस वीर प्रसूता भारत भू के हर युवा मन में जल रही है  तुम्हे गये 89 बरस हो रहे है तुमने जवानियो को जीना सिखाया है . युवको के नाम लिखे अपने पत्र में तुम्ही ने युवावस्था के विषय में लिखा है  “ युवावस्था मानव-जीवन का वसन्तकाल है। उसे पाकर मनुष्य मतवाला हो जाता है। हज़ारो...