हिंदी
हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा : हिंदी दिवस
- अश्वनी कुमार "आज़ाद "
"हिंदी " नाम ध्यान में आते ही चेहरे पर मुस्कुराहट और मस्तिष्क का ध्यान अनायास ही बचपन में खींचा चला जाता है ,बड़े होकर अहसास होता है की जीवन का बेहतरीन समय स्कूल में पढ़ने के वक्त गुजरता है हम जैसे डपोल और दिमाग ज्यादा खर्च ना करने वालो का प्रिय विषय हिंदी ही होता है 'प्रेमचंद की कहानिया,महादेवीवर्मा की कविताये ,रविंद्र नाथ टैगोर मैथली शरण गुप्त,शुभद्रा कुमारी चौहान ,रामधारी सिंह दिनकर की रचनाये पढ़कर आनंद आता तो भगत सिंह ,चंद्रशेखर आज़ाद का बचपन पढ़कर तो दो तीन दिन तक क्रन्तिकारी बनकर कॉलोनी में घूमने का सौभाग्य भी मिलता ,बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी जैसी अनेक कविता-कहानिया जबान पर आज तक रटे हुए है हमारा मनभावन और आज तक मुस्कुराहट देने का कुछ श्रेय तो हिंदी को जाता ही है और हिंदी की एक सबसे बड़ी विशेषता है की उसको पढ़ने वाला व्यक्ति उसमे ही खोया रहता है इसलिए ही हमारे हिंदी के शिक्षक ढीले कुर्ते और चोडे पाजामें में सजकर झोला लटकाये नाक पर मोटा चश्मा टेक कर स्कुल में दर्शन देते थे |
डैडी की जगह हमे प्यारे पापा ,बापू और बाउजी देने वाली हिंदी ही तो है और फिर सुख दुःख में याद आने वाली मम्मी ,माँ ,माताजी,माई.अम्मा भी मॉम बनकर अच्छी नहीं लगती ! ऊगली पकड़ कर मोहल्ला घुमाने वाले दादा ' ग्रांडफादर ' बनकर वैटिकन सिटी के धर्म गुरु जैसे लगते है वही दादी या अम्मा ग्रांडमदर बनकर राम-सीता और राजा-रानी की कहानिया नहीं सुना सकती है सभी का यही हाल है हिंदी वो अपनापन देती है जो और कोई भाषा नहीं दे सकती | जेन्टलमैनो की भाषा कहि जाने वाली अंग्रेजी वैसे तो हिंदी की तुलना में कहि भी स्थान नहीं रख सकती पर देखने पर ध्यान में आता है की A फॉर एप्पल से शुरू होने वाली अंग्रेजी Z फॉर ज़ेबरा यानि जानवर बनाकर छोड़ती है और अपनी हिंदी अ - अनपढ़ से शुरू करती है और ज्ञ से ज्ञानी बनाकर छोड़ती है | कतार लगाकर ठाकुर जी के प्रसाद जैसे अंग्रेजी को चाटने की बाट जो रहे सभी अपनी विरासत को भूलकर दौड़ लगारहे है | बच्चे को डैडी-मम्मा बोलना सिखाते है और फिर उम्मीद करते की वो सेवा करे पाश्चात्य की आंधी में डालकर भारतीय संवेदना की आशा रखते है हिंदी संवेदना की भाषा है,सेवा की भाषा है ,संस्कार की भाषा है ,समर्पण की भाषा है है हिंदी जीवन में अनुशासन ,अपनापन की भाषा है |
आज विश्व में भारत के आलावा अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है। 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में 422,048,642 लोगों ने हिंदी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी भाषी विश्व के प्रत्येक देश में है और आज विश्वभर में चालीस से अधिक देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों और स्कूलों में हिन्दी पढाई जा रही हैं।
14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर इसलिए, क्योंकि 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने हिंंदी को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया। यानी इसे राजभाषा बनाया गया। 26 जनवरी, 1950 को लागू संंविधान में इस पर मुहर लगाई गई। संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंंदी को सरकारी कामकाज की भाषा (अंग्रेजी के अतिरिक्त) के रूप में मान्यता दी गई। लेकिन, सरकारी व कारोबारी जगत में हिंंदी का दबदबा उस स्तर का नहीं है |हिंदी को राजभाषा का दर्जा कागजो में दिया गया उपयोग में नहीं ऐसे उपेक्षित किया गया जैसे भारत विभाजन के समय धर्म के नाम पर मुस्लिमो को पाकिस्तान दिया गया पर भारत में हिन्दुओ को बहुसंख्यक होने बाद भी सरकारी योजनाओ में मुस्लिमो को प्रथम रखकर हिन्दुओ को उपेक्षित रखा जाता रहा है ,45 डिग्री के तापमान में कोट पेंट और गलबन्द टाई लगाकर घूमने वाले शिक्षित कहे जाने वाले लोग हिंदी बोलना अपमान समझते है भूल जाते है हिंदी गौरव की भाषा है ,हिंदी सम्मान की भाषा है |
कम्प्यूटर के विकास के आरम्भिक काल में यह गलत धारणा फैल गयी कि कम्प्यूटर अंग्रेजी के सिवा किसी दूसरी भाषा (लिपि) में काम ही नही कर सकता। किन्तु यूनिकोड के पदार्पण के बाद स्थिति बहुत तेजी से बदल गयी। 19 अगस्त 2009 में गूगल ने कहा की हर 5 वर्षों में हिन्दी की सामग्री में 94% बढ़ोतरी हो रही है। कोई भी आसानी से इंटरनेट पर कुछ भी हिन्दी में खोज सकेगा।हिंदी की इंटरनेट पर अच्छी उपस्थिति है, गूगल जैसे सर्च इंजन हिंदी को प्राथमिक भारतीय भाषा के रूप में पहचानते हैं। हिन्दी ने प्रौद्योगिकी की भाषा को भी प्रभावित किया है हिंदी शब्द कंप्यूटर विज्ञान, कृत्रिम बुद्धि और यहां तक की रोबोटिक्स में भी प्रयोग किये जाते है।इस समय हिन्दी में सजाल (websites), चिट्ठे (Blogs), विपत्र (email), गपशप (chat), खोज (web-search), सरल मोबाइल सन्देश (SMS) तथा अन्य हिन्दी सामग्री उपलब्ध हैं। हिन्दी का प्रयोग करते हुए अपना, हिन्दी का और पूरे हिन्दी समाज का विकास करने की आवश्यकता है |
"हिंदी " हम सबका गौरव है ,धरोहर है हमारी और हमे विकास और आधुनिकता को अपनाते हुए इसको महत्व देना होगा और अपनी आने वाली पीढ़ियों को विरासत स्वरूप सौपना भी होगा ताकि' हिंदी है हम वतन है, हिन्दोसिता हमारा " सार्थक रह सके |
14 /9/2017
- अश्वनी कुमार "आज़ाद "
"हिंदी " नाम ध्यान में आते ही चेहरे पर मुस्कुराहट और मस्तिष्क का ध्यान अनायास ही बचपन में खींचा चला जाता है ,बड़े होकर अहसास होता है की जीवन का बेहतरीन समय स्कूल में पढ़ने के वक्त गुजरता है हम जैसे डपोल और दिमाग ज्यादा खर्च ना करने वालो का प्रिय विषय हिंदी ही होता है 'प्रेमचंद की कहानिया,महादेवीवर्मा की कविताये ,रविंद्र नाथ टैगोर मैथली शरण गुप्त,शुभद्रा कुमारी चौहान ,रामधारी सिंह दिनकर की रचनाये पढ़कर आनंद आता तो भगत सिंह ,चंद्रशेखर आज़ाद का बचपन पढ़कर तो दो तीन दिन तक क्रन्तिकारी बनकर कॉलोनी में घूमने का सौभाग्य भी मिलता ,बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी जैसी अनेक कविता-कहानिया जबान पर आज तक रटे हुए है हमारा मनभावन और आज तक मुस्कुराहट देने का कुछ श्रेय तो हिंदी को जाता ही है और हिंदी की एक सबसे बड़ी विशेषता है की उसको पढ़ने वाला व्यक्ति उसमे ही खोया रहता है इसलिए ही हमारे हिंदी के शिक्षक ढीले कुर्ते और चोडे पाजामें में सजकर झोला लटकाये नाक पर मोटा चश्मा टेक कर स्कुल में दर्शन देते थे |
डैडी की जगह हमे प्यारे पापा ,बापू और बाउजी देने वाली हिंदी ही तो है और फिर सुख दुःख में याद आने वाली मम्मी ,माँ ,माताजी,माई.अम्मा भी मॉम बनकर अच्छी नहीं लगती ! ऊगली पकड़ कर मोहल्ला घुमाने वाले दादा ' ग्रांडफादर ' बनकर वैटिकन सिटी के धर्म गुरु जैसे लगते है वही दादी या अम्मा ग्रांडमदर बनकर राम-सीता और राजा-रानी की कहानिया नहीं सुना सकती है सभी का यही हाल है हिंदी वो अपनापन देती है जो और कोई भाषा नहीं दे सकती | जेन्टलमैनो की भाषा कहि जाने वाली अंग्रेजी वैसे तो हिंदी की तुलना में कहि भी स्थान नहीं रख सकती पर देखने पर ध्यान में आता है की A फॉर एप्पल से शुरू होने वाली अंग्रेजी Z फॉर ज़ेबरा यानि जानवर बनाकर छोड़ती है और अपनी हिंदी अ - अनपढ़ से शुरू करती है और ज्ञ से ज्ञानी बनाकर छोड़ती है | कतार लगाकर ठाकुर जी के प्रसाद जैसे अंग्रेजी को चाटने की बाट जो रहे सभी अपनी विरासत को भूलकर दौड़ लगारहे है | बच्चे को डैडी-मम्मा बोलना सिखाते है और फिर उम्मीद करते की वो सेवा करे पाश्चात्य की आंधी में डालकर भारतीय संवेदना की आशा रखते है हिंदी संवेदना की भाषा है,सेवा की भाषा है ,संस्कार की भाषा है ,समर्पण की भाषा है है हिंदी जीवन में अनुशासन ,अपनापन की भाषा है |
आज विश्व में भारत के आलावा अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है। 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में 422,048,642 लोगों ने हिंदी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी भाषी विश्व के प्रत्येक देश में है और आज विश्वभर में चालीस से अधिक देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों और स्कूलों में हिन्दी पढाई जा रही हैं।
14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर इसलिए, क्योंकि 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने हिंंदी को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया। यानी इसे राजभाषा बनाया गया। 26 जनवरी, 1950 को लागू संंविधान में इस पर मुहर लगाई गई। संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंंदी को सरकारी कामकाज की भाषा (अंग्रेजी के अतिरिक्त) के रूप में मान्यता दी गई। लेकिन, सरकारी व कारोबारी जगत में हिंंदी का दबदबा उस स्तर का नहीं है |हिंदी को राजभाषा का दर्जा कागजो में दिया गया उपयोग में नहीं ऐसे उपेक्षित किया गया जैसे भारत विभाजन के समय धर्म के नाम पर मुस्लिमो को पाकिस्तान दिया गया पर भारत में हिन्दुओ को बहुसंख्यक होने बाद भी सरकारी योजनाओ में मुस्लिमो को प्रथम रखकर हिन्दुओ को उपेक्षित रखा जाता रहा है ,45 डिग्री के तापमान में कोट पेंट और गलबन्द टाई लगाकर घूमने वाले शिक्षित कहे जाने वाले लोग हिंदी बोलना अपमान समझते है भूल जाते है हिंदी गौरव की भाषा है ,हिंदी सम्मान की भाषा है |
कम्प्यूटर के विकास के आरम्भिक काल में यह गलत धारणा फैल गयी कि कम्प्यूटर अंग्रेजी के सिवा किसी दूसरी भाषा (लिपि) में काम ही नही कर सकता। किन्तु यूनिकोड के पदार्पण के बाद स्थिति बहुत तेजी से बदल गयी। 19 अगस्त 2009 में गूगल ने कहा की हर 5 वर्षों में हिन्दी की सामग्री में 94% बढ़ोतरी हो रही है। कोई भी आसानी से इंटरनेट पर कुछ भी हिन्दी में खोज सकेगा।हिंदी की इंटरनेट पर अच्छी उपस्थिति है, गूगल जैसे सर्च इंजन हिंदी को प्राथमिक भारतीय भाषा के रूप में पहचानते हैं। हिन्दी ने प्रौद्योगिकी की भाषा को भी प्रभावित किया है हिंदी शब्द कंप्यूटर विज्ञान, कृत्रिम बुद्धि और यहां तक की रोबोटिक्स में भी प्रयोग किये जाते है।इस समय हिन्दी में सजाल (websites), चिट्ठे (Blogs), विपत्र (email), गपशप (chat), खोज (web-search), सरल मोबाइल सन्देश (SMS) तथा अन्य हिन्दी सामग्री उपलब्ध हैं। हिन्दी का प्रयोग करते हुए अपना, हिन्दी का और पूरे हिन्दी समाज का विकास करने की आवश्यकता है |
"हिंदी " हम सबका गौरव है ,धरोहर है हमारी और हमे विकास और आधुनिकता को अपनाते हुए इसको महत्व देना होगा और अपनी आने वाली पीढ़ियों को विरासत स्वरूप सौपना भी होगा ताकि' हिंदी है हम वतन है, हिन्दोसिता हमारा " सार्थक रह सके |
14 /9/2017
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