शक्ति एवम साहस का मिशन......मिशन साहसी

शक्ति एवं साहस का.......  मिशन 

 

हिम्मत है तो बुलंद कर आवाज का अलम 
चुप बैठने से हल नहीं होने का मसला "

प्रसिद्ध शायर जिया जालंधरी का लिखा यह  शेर आज अनेक समस्याओ पर राह दिखाता सा प्रतीत होता है अनेको समस्याएं ,विषय ऐसे है जिनपर आवाज की जरूरत है हिम्मत की जरूरत है पर एक प्रश्न सदियों से यक्ष प्रश्न की तरह सैदेव सभी के समक्ष रहता है की करे कौन ? बहुत विषय है किस किस पर बोले। ..... बस समाज की दिशा ठीक करने की आवश्यकता है यह भी को बखूबी मालूम है।  . एक महत्वपूर्ण विषय सभी के सम्मुख हमेशा आता है नारी सुरक्षा ,  सम्मान , स्वाभिमान का बहुत से उदाहरण समाज में है भी जिन्होंने आवाज बुलंद करके स्वयं को सिद्ध किया है ऐसे उदाहरणों से ही आज के सोपान तक  हमारी बहिन , बेटी या माँ पहुंची है समाज में अधिकार और सम्मान भी मिलना प्रारम्भ हुआ है पर विचार आवश्यक है कब तक ऐसे ही उदाहरणों से काम चलता रहेगा।   महात्मा गाँधी के बचपन की एक घटना स्मरण आती है "एक बार बचपन में गाँधी अपने मित्रो के साथ खेलकर घर आये और आकर माँ से पूछा " माँ इस घर में मेरा कितना अधिकार है ? " माँ ने मुस्कुराकर बैठाया और बोली " जितना तेरा कर्तव्य है उतना ही तेरा अधिकार है " विचार करे सदियों से कर्तव्य पालन करती आ रही नारी के अधिकार के लिए हम कब आगे आएंगे। नारी सशक्तिकरण  पर भाषण, कविताये और भी अनेको बाते महापुरुषों एवं महानुभावो ने कहि है और हमने सुनी भी है " देश आगे बढ़ रहा है आधी आबादी कही जाने वाली नारी शक्ति को सम्मान देना होगा , वह  अबला नहीं है , शिक्षा पर स्वाभिमान पर नारी का भी अधिकार है और यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते जैसा और भी बहुत कुछ। इस बार कुछ अलग दिखा भाषण क स्थान पर कियान्वयन दिखाई दिया केवल घोषणा या नारो का जमावड़ा नहीं साकार होते देखा महज खानापूर्ति नहीं साक्षात् अपने चक्षुओं से देखा की  अबला जैसे शब्दों से सम्बोधि जाने वाली नारिया  हज़ारो की संख्या में साहस का हुंकार भर रही है और उनकी हुंकार से शांत रहने वाली साबरमती नदी भी उत्साह में दिखाई दी।  हज़ारो छात्राये उत्सुकता के साथ स्वयं की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूत हो रही थी  वे साहस कर रही थी कुछ अलग करने का, समाज को मजबूती के संदेश देने का...... अबला , बेचारी जैसे शब्दों को छोड़ कर  वे आगे बढ़ रही थी  वे साहस कर रही थी अपने मिशन में रमी हुई थी....साहस , शक्ति और आत्मरक्षण का मिशन ... "मिशन साहसी "  

हज़ारो की संख्या में छात्राये हुंकार भरते हुए ऐसे लग रही थी मानो कह रही हो "अब न होगा प्रतिकार अब करेंगे प्रहार "  यह सब  देखकर हिंदी फिल्म सीन  की तरह मनष्तिष्क (मष्तिष्क और मन ) फलेश बेक में चले गए और एक दृश्य स्मरण हो आया दिसंबर 2012 का अंतिम सप्ताह देश में  आक्रोश , चहरो पर गुस्सा लाखो की संख्या में लोग दिल्ली में रायसीना हिल्स की और बढ़ते जा रहे थे आसमान में नारो की आवाजे गूंज रही थी। ..... इन्साफ दो ... निर्भया अमर रहे... दरिंदो को फांसी दो ! देश एक था। .. आवाजे एक ही थी देश में प्रत्येक भारतीय के मन में एक ही प्रश्न था "क्या देश में बेटियां  सुरक्षित नहीं है?" राष्ट्रिय अपराध शाखा के एक आकड़े के अनुसार प्रतिवर्ष 32000 से अधिक महिलाये दरिंदगी का शिकार होती है सच में यह भी उतपन्न करने वाला है सब के मन में सिर्फ सवाल है।  आज प्रतिदिन नित नए परिवर्तन देखने को मिलते है सालो की दासता से समाज बाहर आरहा है , अन्धविश्वास , रूढ़िवादिता  को खत्म करके नई सोच पर चलने का संकल्प करने के अनेको बनते है अच्छा लगता है की समाज बदल रहा है देश बदल रहा है  इसी के बीच  कभी निर्भया तो कभी आसिफा सी जैसी घटनाये सोचने पर मजबूर कर  देती है की हम किस और जा रहे है   इस चिंतन और विमर्श के बीच मुंबई के बीकेसी ग्राउंड पर  6 मार्च 2018 को हज़ारो छात्राओं की उपस्थिति में आत्मरक्षा प्रशिक्षण का प्रदर्शन एक विश्वास दिलाता सा प्रतीत होता है की अब निर्भर नहीं निडर बनने का समय है। समस्या नहीं समाधान देने का पर्याय छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा समाज के सामने रखा गया यह समाधान एक और केम्पस में पढ़ने वाली छात्रा में आत्मरक्षण (सेल्फ डिफेन्स ) टेक्निक्स से आत्मविश्वास का निर्माण तो करता ही है साथ ही समाज को राह भी दिखाता है की अब समय आगया  है जब माँ  जीजाबाई , और लक्ष्मीबाई , रानी दुर्गावती  जैसे चरित्रो के पुनः निर्माण का। 
    ध्यान में रखने की आवश्यकता है की कुछ दशकों में  नारी की छवि या तो साहसहीन, निर्बल, भीरू या फ़िर उसे भोग्य वस्तु बनाकर पेश किया गया , इसका प्रसार मिडिया ने तो किया ही है लेकिन कुछ सम्प्रदाय एवं बुद्धिजीवी  भी  यही राय रखते हैं| जिसके कारण समाज की अत्यधिक गिरावट हुई है| नारी की इस अवहेलना और अनादर से ही आज हम असामयिक मौतें , भय और अन्याय से ग्रस्त हैं| महर्षि मनु अपनी संहिता में देते हुए कहते हैं (33 .56 ) : “जो समाज स्त्री का आदर करता है वह स्वर्ग है और जहां स्त्री का अपमान होता है, वहां किए गए अच्छे कर्म  भी ख़त्म हो जाते हैं|” वेदों के इस महत्वपूर्ण सन्देश की अनदेखी के कारण ही भारत एक ऐसा गुलाम राष्ट्र बना जिसे गुलामों द्वारा ही चलाया जाता रहा  आधी आबादी जो साहस का उद्गम हैं उनको यथोचित सम्मान न मिलना ही इस का मूल कारण है| हम मातृशक्ति को साहस और हमारी समस्त अच्छाइयों का प्रतिमान मान लें तो हम संसार को स्वर्ग बना सकेंगे| वेदों पर आधारित एक बलिष्ठ और सशक्तसमाज में स्त्री का सहज गुण उसका साहस है| उसका यह साहस उसकी अपनी आत्मा औरमन के बल से उपजता है,यह साहस कोई दुस्साहस नहीं है वेदो की विविध ऋचाओं में ऋषियों ने लिखा है   हे नारी, तू समाज की आधारशिला है| तेरे लिये हम सुखदायक अचल शिलाखंड को रखते हैं| इस शिलाखंड के ऊपर खड़ी हो, यह तुझे दृढ़ता का पाठ पढ़ायेगा| इस शिलाखंड के अनुरूप तू भी वर्चस्विनी बन जिससे संसार में आनंदपूर्वक रह सके| तेरी आयु सुदीर्घ हो ताकि हम तेरे तेज को पा सकें (अथर्ववेद 14 .1.47) साथ ही वेद कहते की  हे नारी, तू स्वयं को पहचान| तू शेरनी है| हे नारी, तू अविद्या आदि दोषों पर शेरनी की तरह टूटनेवाली है, तू दिव्य गुणों के प्रचार के लिए स्वयं को शुद्ध कर| हे नारी, तू दुष्कर्मों एवं दुर्व्यसनों को शेरनी के समान विध्वस्त करने वाली है, सभी के हित के लिए तू दिव्य गुणों को धारण कर (यजुर्वेद 5 .10)  यजुर्वेद की ही एक और ऋचा में नारी के गुणों का वर्णन करते हुए ऋषि कहते है - हे नारी, तू सुख़देनेवाली है, तू सुदृढ़ स्थितिवाली है, तू क्षात्र बल की भंडार है, तू साहसका उद्गम है| तेरा स्थान समाज में गौरवशाली है,  हे नारी, तू ध्रुव है, अटल निश्चयवाली है, सुदृढ़ है, तू हम सब का आधार है| परमपिता परमेश्वर ने तुझे विद्या, वीरता आदि गुणों से भरा है| समुद्रके समान उमड़ने वाली शत्रु सेनाएं भी तुझे हानि न पहुंचा सकें, गिद्ध केसमान आक्रान्ता तुझे हानि न पहुंचा सकें| किसी से पीड़ित न होती हुई तूविश्व को समृद्ध कर|(अर्थात् पूरे समाज को नारी की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए, ताकि वह समाज में अपना योगदान दे सके| नारी के गौरव के लिए अपने प्राण तक उत्सर्ग करने वाले वीरों का यह प्रेरणा सन्देश है|) (यजुर्वेद 10.26 व् 13.16) साथ ही ऋग्वेद में ऋषि कहते है की  नारी तो आवश्यकता पड़ने पर बलिदान के स्थल संग्राम में भी जाने से नहीं हिचकती| जो नारी सत्य विधान करने वाली है, वीर पुत्रों की माता है, वीर की पत्नी है, वह महिमा पाती है| उसका वीर पति विश्व भर में प्रसिद्धि पाता है| हे वीर स्त्री, अपराधियों के लिए तुम विष बुझा तीर हो| तुम में अपार पराक्रमहै| उस बाण के समान गतिशील, कर्म कुशल, शूरवीर देवी को हम भूरि- भूरि नमस्कार करते हैं| वेदो , पुराणों , उपनिषदों में नारी में  साहस को  मुख्य गुण बताते हुए संग्राम से सौंदर्य तक सभी में श्रेष्ट बताया है। परन्तु हम इन सब से अज्ञान है. 

     एक जिम्मेदार छात्र  संगठन होने के नाते अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने  कहा  " अबला नहीं तूफ़ान है  हम भारत की शान है " समाज को चलता है की मानसिकता से बहार आकर प्रतिकार करना होगा और सबसे पहले उन्हें सक्षम बनाना होगा जिन्हे कमजोर समझा जाता है महिलाओ की मजबूती से समाज को अवगत करवाने का जिम्मा परिषद ने लेकर मिशन साहसी अभियान शुरू करके  किया। आज छात्राये अपने पंखो को फैलाकर उड़ना चाहती है अनेको बेटियां कल्पना चावला, मेरीकॉम , हिमादास  , सरिता गायकवाड़ ,अरुणिमा सिन्हा सुषमा स्वराज बनना चाहती है वे पायलट , डॉक्टर , इंजीनियर ,राजनीतिज्ञ ,प्रसाशनिक अधिकारी , उद्योजक बनना चाहती है इसके लिए समानता व् सक्षम मानसिकता वाले वातावरण की आवश्यकता है इसके लिए मिशन साहसी अभियान की शुरुआत की गयी जिसके अंतर्गत २० लाख से अधिक बहिनो को आत्म रक्षण की तालीम दी जा चुकी है।  मिशन साहसी के अंतर्गत दिए जाने वाले प्रशिक्षण में साधारण सी रोज़मर्रा के जीवन में उपयोग में लाए जानेवाली वस्तुओं का उपयोग कर प्रहार करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। जैसे पेन, कड़ा, चश्मा, पेन कार्ड, क्रेडिट कार्ड, छतरी, गिलास, मोबाईल जैसे विविध प्रकार की वस्तु का उपयोग करके स्वयं की सुरक्षा निश्चित कर सकती है। इतना ही नहीं सामने के व्यक्ति की चीज़ों का भी उपयोग करके उसके ऊपर ही प्रहार कर सकते है। आँखें, नाक, सर, जैसे नाज़ुक जगह पर प्रहार करके स्वयं की सुरक्षा निश्चित कर सकते हैं। शक्ति प्रत्येक व्यक्ति के पास होती है परंतु शक्ति का बुद्धिमत्ता से उपयोग कैसे किया जाए इससे अवगत कराने का प्रयास है। हमारे  देश मे प्रत्येक 56  वे सेकेंड मे बलात्कार और अपहरण की घटना घटती हैं। महिलाओं को शशक्त बनाकर प्रत्येक महिला का आत्मविश्वास और अंदर की शक्ती का अनुभव  का अनुशरण हो और इसी शक्ती का उपयोग कर प्रतिकार नहीं प्रहार कर अपनी सुरक्षा निश्चित कर सकें। बिना किसी भय के समाज में सर उठाके चल सकें तभी मिशन का मुख्य उद्देश्य पूर्ण होगा।
         मिशन साहसी ये सिर्फ़ प्रतिकार करना नहीं। साहस के साथ प्रहार कैसे किया जाए इसका प्रशिक्षण देना है। प्रतिरोध करना ओर लड़ना इन दोंनो विषयों मे काफ़ी अंतर है। महिलाओं को समाज की बेड़ियों मे बाँध कर रख दिया गया है। आज भी हमारे समाज मे लड़की को सिखाया जाता है की वे अदब मे रहे, कोमलता ही उनकी निशानी है। मिशन साहसी भी महिलाओं को उनकी कोमलता और बुद्धी का उपयोग करके प्रहार करना सिखाती हैं।

मिशन साहसी में प्रशिक्षण प्राप्त छात्राओं के उत्साह और आत्मविश्वास को देखकर लगता है की चलता है मानसिकता अब अधिक समय  तक नहीं चलने वाली।  आवश्यक है समाज भी  चलता है को  छोड़ कर अब ऐसा नहीं चलेगा की आदत डाले और इसके प्रति समाज के साथ साथ सरकार को भी महज खानापूर्ति करने वाले अपने कार्यक्रमों  और योजनाओ का ढांचा बदलकर प्रभावी व्  उपयोगी बनाने होंगे नहीं तो महाभारत व् रामायण जैसे महाकाव्य ग्रंथो में भयंकर युद्धों के कारण बने नारी सम्मान की घटनाओ जैसे यहां भी दिनकर की अम्र रचना की पंक्तिया गूंजती दिखाई देंगी " सिंहासन खाली  करो..... " . साथ ही हम सभी को   स्वीकार करना  पड़ेगा की केवल शिक्षा या संसाधनों में नारी सम्मान या अधिकार की बाते नहीं बल्कि हमे " सभी में अधिकार " की आवाज बुलंद  करनी होगी और नारी को भी ठानना तो पड़ेगा की खुद का सम्मान केवल शाश्त्रो में वर्णित सूक्तियों से नहीं बल्कि मजबूत इरादों और मेहनत से हासिल करेंगे।
  मिशन साहसी जैसा कार्यक्रमो की आवश्यकता बहुत है प्रासंगिकता भी है सभी को करने होंगे जिम्मेदारी लेनी होगी एक छात्र संगठन होने के बाद भी एबीवीपी जैसा संगठन यदि रास्ता दिखाता  है तो सभी को उस पर चलना होगा  सभी को साहस दिखाना होगा अपने मिशन के लिए .. बेटी. बहन. माँ . पत्नी . 
के लिए अपना कर्तव्य है मिशन साहसी। 


Ashwani Kumar (आज़ाद)
State organising secretary
abvp gujarat

Mobile: +91 9667933790

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